November 1, 2025

Dev Uthani Ekadashi 2025 | देवउठनी एकादशी कब है — तारीख, पूजा और पारण समय

dev uthani ekadashi 2025
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देवउठनी एकादशी 2025 (dev uthani ekadashi 2025) के बारे में जानकारी चाह रहे हैं तो यह लेख आपके लिए है। नीचे हमने तारीखें, तिथि-समय, पूजन-विधि, पारण के शुभ समय और उस पर आम प्रचलित मान्यताओं को सरल हिंदी में बताया है।

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एक नजर में — मुख्य तथ्य

  • Dev Uthani Ekadashi 2025 (देवउठनी एकादशी 2025) — इस साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 नवंबर 2025 को शुरू होकर 2 नवंबर 2025 की सुबह तक चल रही है; पर परंपरा और पंडित-पंचांग के आधार पर व्रत उदय-तिथि (udaya tithi) को श्रेष्ठ मानने वाले वैष्णव समुदाय 2 नवंबर को व्रत रखेंगे।
  • नवंबर में दूसरी एकादशी — Utpanna Ekadashi (उत्पन्ना एकादशी) 15-16 नवंबर 2025 को आती है। पारण समय व शुभ मुहूर्त पंडित/पंचांग के अनुसार बदल सकते हैं।

Dev Uthani Ekadashi 2025 – तारीखें और समय

  • Dev Uthani / Prabodhini Ekadashi तिथि (कार्तिक शुक्ल एकादशी)
    • एकादशी तिथि: 01 नवंबर 2025, सुबह 09:11 बजे से शुरू — 02 नवंबर 2025, सुबह 07:31 बजे तक (यह समय स्रोतों के अनुसार भिन्न-भिन्न पैन-इंडिकेशन्स के आसपास बताया गया है)।
    • इसलिए घर-गृहस्थ: आमतौर पर 01 नवंबर को ही व्रत प्रारंभ किया जा सकता है; पर वैष्णव/ISKCON मान्यता के अनुसार उदय-तिथि वाले दिन (अर्थात 02 नवंबर) को व्रत रखना श्रेष्ठ माना जाता है — दोनों परंपराओं का हवाला अखबार/पंचांग में मिलता है।
  • Vrat Parana (व्रत पारण)
    • पारण के शुभ समय की रिपोर्ट्स में 02 नवंबर 2025 की दोपहर-दोपहरीनु 12:55/01:10 बजे के आसपास से लेकर दुपहर 03:11/03:18 बजे तक का विंडो दिया गया है; कुछ स्रोतों में 03 नवंबर की सुबह का समय भी वैकल्पिक रूप से सुझाया गया है — इसलिए अपने नगर/स्थानीय पंचांग से अंतिम पारण-विराम अवश्य मिलान करें।

संक्षेप में: dev uthani ekadashi 2025 का तर्कसंगत निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि आप किस पंचांग/परंपरा का पालन करते हैं — स्मार्त परंपरा 01 को, वैष्णव/उदय-तिथि को महत्व देने वाले 02 को उपयुक्त मानते हैं।

देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व

देवउठनी (प्रबोधिनी) एकादशी को भगवान श्री विष्णु की योग-निद्रा से जागरण की तिथि माना जाता है। चतुर्मास (वर्ष के चार महीने) के बाद विष्णु-आवेदन पुनः आरम्भ होते हैं और इसी कारण इस दिन से शुभ कर्मों, विवाह-कार्य और गृह प्रवेश आदिके शुभ मुहूर्त शुरू माने जाते हैं। तुलसी विवाह और तुलसी पूजा भी इसी समय जुड़े आयोजनों में से हैं।

व्रत-विधि (सरल कदम — घर पर पालन करने वाले)

  1. एकादशी-पूर्व संध्या से ही चीज़-वस्तु त्यागकर शुद्धता रखें। (ekadashi vrat kab hai / एकादशी व्रत कब है — आमतौर पर एक दिन पहले शाम से नियम लागू)
  2. सुबह स्नान करके विष्णु की प्रतिमा/चित्र के सामने दीप, धूप, फल-भोग अर्पित करें। (dev uthani ekadashi kab hai — लोग अक्सर सुबह उदय के समय पूजा करना पसंद करते हैं)
  3. व्रत में निर्जला उपवास या फल/दूध-प्रकार का सरल उपवास रखा जा सकता है — पर पारंपरिक रीति-रिवाज़ अनुसार निर्जला व्रत ज्यादा फलदायी माना जाता है।
  4. व्रत का पारण द्वादशी (parana time) के शुभ मुहूर्त में करें; पारण के बाद तुलसी विवाह विधि, दान-धर्म करने का भी विधान है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

  • Dev Uthani Ekadashi 2025 — क्या 1 या 2 नवंबर को व्रत रखना चाहिए?
    उत्तर: पंचांग और परंपरा पर निर्भर। स्मार्त परंपरा 1 नवंबर को व्रत रख सकती है; वैष्णव/उदय-तिथि पर चलने वाले समुदाय 2 नवंबर को रखना श्रेष्ठ मानते हैं। स्थानीय पंचांग देखें।
  • Ekadashi 2025 November mein kitni baar hai?
    उत्तर: नवंबर 2025 में प्रमुख रूप से दो एकादशियाँ आ रही हैं — देवउठनी/प्रबोधिनी (1/2 Nov) और उत्पन्ना एकादशी (15/16 Nov)
  • Ekadashi kab hai 2025 (देवउठनी एकादशी व्रत कब है)?
    उत्तर: ऊपर बताये अनुसार 1-2 नवंबर के बीच tithi है; व्रत कब रखें यह आपकी परंपरा पर निर्भर करेगा।

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सामान्य सलाह (पंचांग और परंपरा)

स्थानीय पंचांग देखें: Dev Uthani Ekadashi 2025 की तिथि और पारण का समय स्थान के अनुसार थोड़ा बदल सकता है, क्योंकि ग्रह-नक्षत्र की गणना हर क्षेत्र में अलग होती है। इसलिए व्रत या पारण का सटीक समय जानने के लिए अपने शहर या क्षेत्र के विश्वसनीय पंचांग या मंदिर से समय की पुष्टि करें।

परंपरा का पालन करें: अगर आपका परिवार किसी विशेष परंपरा, जैसे वैष्णव, स्मार्त या इस्कॉन से जुड़ा है, तो उसी परंपरा के अनुसार व्रत रखें। वैष्णव परंपरा में उदय तिथि को अधिक महत्व दिया जाता है, जबकि स्मार्त परंपरा में सामान्य तिथि के अनुसार व्रत रखा जाता है।

Disclaimer (अस्वीकरण): यह लेख सामान्य धार्मिक और पंचांग संबंधी जानकारी पर आधारित है। एकादशी व्रत और पारण का समय स्थान और परंपरा के अनुसार थोड़ा अलग हो सकता है। किसी भी धार्मिक क्रिया, पूजा या पारण से पहले अपने स्थानीय पंचांग, मंदिर या विश्वसनीय पंडित से समय की पुष्टि अवश्य करें। लेख में दिए गए तिथि और समय केवल सामान्य संदर्भ के लिए हैं।